Thursday, November 11, 2010

भगवन शंकर ने सागर मंथन में निकला हुआ विष (जहर) क्यूँ पिया?

भगवान् शंकर ने आखिर समुद्र मंथन में निकला हुआ जहर क्यूँ पिया ? क्या विश्व की भलाई के लिए ? कहीं कोई और कारण तो नहीं था ?

जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमे से काफी कुछ निकला जो देवताओ और दानवो ने आपस में बाँट लिया। समुद्र मंथन से जब विष निकला तो उसको लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ, क्यूंकि सब जानते थे की ये जानलेवा है। ये जानते हुए भी की ये जानलेवा है भगवान् शंकर ने जहर पी लिया।

जहर पीने के पीछे कारण ये था की .....
शंकर भगवान् ने अपनी जटा में अपने सिर पर गंगा को बैठा रखा है इस बात से पार्वती जी नाराज रहती थी और घर में झगड़ा किया करती थी ..पार्वती जी बोलती थी की आपने भगवन अपने सर पे पराई स्त्री को बैठा रखा है और ये चन्द्रमा क्या मुझसे ज्यादा सुन्दर है जो इसको भी सिर पे बैठा रखा है...भगवान शंकर इस रोज रोज के झगडे से तंग आ गए थे

दूसरा भगवान शंकर के गले में सांप लटके रहते है और गणेश जी का वाहन है चूहा..भगवान् शंकर के गले में लटके हुए सांप गणेश जी के चूहे को खाने के लिए लपकते है और ये झगडे का कारण बन जाता है। भगवान गणेश जी भगवान शंकर जी से शिकायत करते है और झगडा करते है।

तीसरा भगवान कार्तिकेय का वाहन है मोर, ये मोर भगवान् शंकर के गले में लटके हए सांप के दुश्मन है वो मोर इन् सांपो को खाने को लपकता है ..फिर झगडा।

इन् रोज रोज के झगड़ो से भगवान शंकर तंग आ गए थे इसीलिए जैसे ही उनको मौका मिला उन्होंने जहर पी लिया। वो तो गंगा जी ने बचा लिया और भगवान शंकर जी को एक और नया नाम मिल गया "नीलकंठ"
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