रावण बहुत ही प्रकांड विद्वान था ये सर्व विदित है। जब प्रभु राम ने रावण को तीर से घायल कर दिया और रावण की सांसे उखड़ने लगी तब रावण ने लक्षमण को अपने पास बुलाया और कुछ ज्ञान देना चाहा। प्रभु राम की आज्ञा पाकर लक्षमण रावण के पास गया और उस से शिक्षा देने को कहा।
रावण के एक शिक्षा लक्षमण को ये थी कि "किसी भी काम को करने का अगर विचार मन में आये तो उसको बाद पे मत टालना।
ऐसा रावण ने क्यूँ कहा? .....
रावण महाशक्तिशाली, पराक्रमी एवं शिव जी का भक्त था उस ने कई बार देवताओ को युद्ध में हराया था।
रावण कि ३ इछाये थी
१। समुद्र का पानी मीठा करने कि
२। स्वर्ण(सोने) में महक (खुसबू) पैदा करने की
३। स्वर्ग तक सीढियाँ बनाने कि
रावण समर्थ था और वो ये सब कार्य कर सकता था परन्तु वो आज कल पे टालता रहा और आखिरकार मृत्यु आ गयी और उसकी ये अभीलाषाएं पूर्ण नहीं हो सकी....इसिलए रावण ने लक्षमण को ये ज्ञान दिया था ।
Very nice story
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