भगवान् शंकर ने आखिर समुद्र मंथन में निकला हुआ जहर क्यूँ पिया ? क्या विश्व की भलाई के लिए ? कहीं कोई और कारण तो नहीं था ?
जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमे से काफी कुछ निकला जो देवताओ और दानवो ने आपस में बाँट लिया। समुद्र मंथन से जब विष निकला तो उसको लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ, क्यूंकि सब जानते थे की ये जानलेवा है। ये जानते हुए भी की ये जानलेवा है भगवान् शंकर ने जहर पी लिया।
जहर पीने के पीछे कारण ये था की .....
शंकर भगवान् ने अपनी जटा में अपने सिर पर गंगा को बैठा रखा है इस बात से पार्वती जी नाराज रहती थी और घर में झगड़ा किया करती थी ..पार्वती जी बोलती थी की आपने भगवन अपने सर पे पराई स्त्री को बैठा रखा है और ये चन्द्रमा क्या मुझसे ज्यादा सुन्दर है जो इसको भी सिर पे बैठा रखा है...भगवान शंकर इस रोज रोज के झगडे से तंग आ गए थे
दूसरा भगवान शंकर के गले में सांप लटके रहते है और गणेश जी का वाहन है चूहा..भगवान् शंकर के गले में लटके हुए सांप गणेश जी के चूहे को खाने के लिए लपकते है और ये झगडे का कारण बन जाता है। भगवान गणेश जी भगवान शंकर जी से शिकायत करते है और झगडा करते है।
तीसरा भगवान कार्तिकेय का वाहन है मोर, ये मोर भगवान् शंकर के गले में लटके हए सांप के दुश्मन है वो मोर इन् सांपो को खाने को लपकता है ..फिर झगडा।
इन् रोज रोज के झगड़ो से भगवान शंकर तंग आ गए थे इसीलिए जैसे ही उनको मौका मिला उन्होंने जहर पी लिया। वो तो गंगा जी ने बचा लिया और भगवान शंकर जी को एक और नया नाम मिल गया "नीलकंठ"
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Thursday, November 11, 2010
Monday, November 8, 2010
रावण के बारे में कुछ बातें
रावण बहुत ही प्रकांड विद्वान था ये सर्व विदित है। जब प्रभु राम ने रावण को तीर से घायल कर दिया और रावण की सांसे उखड़ने लगी तब रावण ने लक्षमण को अपने पास बुलाया और कुछ ज्ञान देना चाहा। प्रभु राम की आज्ञा पाकर लक्षमण रावण के पास गया और उस से शिक्षा देने को कहा।
रावण के एक शिक्षा लक्षमण को ये थी कि "किसी भी काम को करने का अगर विचार मन में आये तो उसको बाद पे मत टालना।
ऐसा रावण ने क्यूँ कहा? .....
रावण महाशक्तिशाली, पराक्रमी एवं शिव जी का भक्त था उस ने कई बार देवताओ को युद्ध में हराया था।
रावण कि ३ इछाये थी
१। समुद्र का पानी मीठा करने कि
२। स्वर्ण(सोने) में महक (खुसबू) पैदा करने की
३। स्वर्ग तक सीढियाँ बनाने कि
रावण समर्थ था और वो ये सब कार्य कर सकता था परन्तु वो आज कल पे टालता रहा और आखिरकार मृत्यु आ गयी और उसकी ये अभीलाषाएं पूर्ण नहीं हो सकी....इसिलए रावण ने लक्षमण को ये ज्ञान दिया था ।
रावण के एक शिक्षा लक्षमण को ये थी कि "किसी भी काम को करने का अगर विचार मन में आये तो उसको बाद पे मत टालना।
ऐसा रावण ने क्यूँ कहा? .....
रावण महाशक्तिशाली, पराक्रमी एवं शिव जी का भक्त था उस ने कई बार देवताओ को युद्ध में हराया था।
रावण कि ३ इछाये थी
१। समुद्र का पानी मीठा करने कि
२। स्वर्ण(सोने) में महक (खुसबू) पैदा करने की
३। स्वर्ग तक सीढियाँ बनाने कि
रावण समर्थ था और वो ये सब कार्य कर सकता था परन्तु वो आज कल पे टालता रहा और आखिरकार मृत्यु आ गयी और उसकी ये अभीलाषाएं पूर्ण नहीं हो सकी....इसिलए रावण ने लक्षमण को ये ज्ञान दिया था ।
मेरी जीवनी
सबसे पहले आप सभी को मेरा नमस्कार। मेरा नाम अशोक कुमार शर्मा है मैं लाखेरी उच्च माध्यमिक विद्यालय से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत हुआ हूँ। इस ब्लॉग को बनाने के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है की मैं अपना ज्ञान आप लोगो के साथ बाँट सकूँ और आप लोगो की राय और विचार भी जान सकूँ.
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